बचाव से विकास तक - गुजरात कैसे सजा रहा है अपना मैनग्रोव तट

Nov 25, 2025

धोलेरा, गुजरात: समुद्र किनारे खड़े मैनग्रोव सिर्फ पेड़ नहीं… प्रकृति की सबसे मजबूत ढाल हैं और गुजरात, जो भारत के कुल मैनग्रोव क्षेत्र का लगभग 23.66% संभाले हुए है, इन्हें संरक्षित करने को अपनी बड़ी प्राथमिकताओं में शामिल कर चुका है। धोलेरा से लेकर कच्छ तक, बड़े स्तर पर किए गए पुनर्वास प्रयासों ने सैकड़ों हेक्टेयर तटीय क्षेत्रों को फिर से जीवंत किया है। पिछले दो दशकों में गुजरात ने 253.06 वर्ग किलोमीटर नए मैनग्रोव जोड़े और इसका असर साफ है… मज़बूत तटरेखा, समृद्ध समुद्री जीवन, और हर साल लौटते प्रवासी पक्षियों की नई रौनक। आज मैनग्रोव संरक्षण, राज्य की पर्यावरण नीति का एक मुख्य आधार बन चुका है। गुजरात का मॉडल सिर्फ पौधे लगाने तक सीमित नहीं है… यह विज्ञान, समुदाय और उद्योगों की साझेदारी पर टिका है। वन विभाग स्थानीय गाँवों और उद्योगों के साथ मिलकर लोगों को प्रशिक्षित करता है… कहाँ रोपण होगा, कौन सी प्रजाति मजबूत है, और नए पौधों को चराई से कैसे बचाया जाए। यही सामुदायिक मॉडल यह सुनिश्चित करता है कि मैनग्रोव सिर्फ उगें नहीं… बल्कि घने हों, जीवित रहें, और तट को बचाएँ। राज्य के ये प्रयास केंद्र सरकार की “MISHTI (मिष्टी)” योजना से भी पूरी तरह मेल खाते हैं। जो काम कभी संरक्षण का प्रयास था, आज गुजरात के तटीय जीवन की मजबूत ढाल बन चुका है… एक ऐसी हरी रेखा जो समुद्र की मार से बचाती है, मछुआरों के जीवन को सहारा देती है और प्राकृतिक संतुलन को मजबूत बनाती है।